ऐसे भी ग़म होते हैं जो दिल में घर कर जाते हैं
घर की चाहत रखने वाले यूँ ही बेघर जाते हैं
मुद्दतों ना हाल पूछा, दिल में बस रक्खा गुमां
ख़्वाब आँखों की सतह पे ऐसे ही मर जाते हैं
तुम वो पहले शख़्स कब हो, लोग ऐसे ही मिले
क़ुर्बतों का वादा कर के दूर अक्सर जाते हैं
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