महत्व तो उसका बहोट है लेकिन हम कभी जताते नहीं
ऐसे तो बाहोत कुछ बोल जाते है, बस हम मा को दिल की बात कभी बताते नहीं
तो क्यों ना अब सब कुछ मा को बता दे हम
मा के मायके का एहसास क्यों ना उसे इसी घर में ला दे हम
कहने को ये घर उसका ही है,
पर उसका सा लगता क्यों नहीं
मा भी जागती है सबके साथ देर रात तक
फिर भी सुबह मा से पहले कोई और जगता क्यों नहीं
क्यों ना सूरज की किरणों को मा से पहले जगा दे हम
मा के मायके का एहसास क्यों ना उसे इसी घर में ला दे हम
नल आने का वक़्त हो या बाई की छुट्टी की किटकिट
ये सब हमने उसी को दे रखा है
घर की हर छोटी छोटी परेशानी का ठेका
जैसे मा ने है लेे रखा है
क्यों ना इन छोटी छोटी परेशानियों को
कभी तो मा से दूर भगा दे हम
मा के मायके का एहसास क्यों ना उसे इसी घर में ला दे हम
अपनी हर छोटी ज़िद मनवा लेते है हम मा से
कभी उसकी ख्वाहिशों का सवाल क्यों नहीं करते
वो भी कभी किसी घर की ज़िद्दी लाडली रही होंगी
इस बात पर कभी गौर, कभी खयाल क्यों नहीं करते
क्यों ना उसका बचपन उसे लौटा से हम
मा के मायके का एहसास क्यों ना इसे इसी घर में ला दे हम