रास छंद "कृष्णावतार"'s image
579K

रास छंद "कृष्णावतार"

रास छंद "कृष्णावतार"


हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ।

घोर घटा में, कड़क रहीं थी, दामिनियाँ।

हाथ हाथ को, भी नहिं सूझे, तम गहरा।

दरवाजों पर, लटके ताले, था पहरा।।


यमुना मैया, भी ऐसे में, उफन पड़ी।

विपदाओं की, एक साथ में, घोर घड़ी।

मास भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की, तिथि अठिया।

कारा-गृह में, जन्म लिया था, मझ रतिया।।


घोर परीक्षा, पहले लेते, साँवरिया।

जग को करते, एक बार तो, बावरिया।

सीख छिपी है, हर विपदा में, धीर रहो।

दर्शन चाहो, प्रभु के तो हँस, कष्ट सहो।।


अर्जुन से बन, जी

Read More! Earn More! Learn More!