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पवन छंद "श्याम शरण"

श्याम सलोने, हृदय बसत है।

दर्श बिना ये, मन तरसत है।।

भक्ति नाथ दें, कमल चरण की।

शक्ति मुझे दें, अभय शरण की।।


पातक मैं तो, जनम जनम का।

मैं नहिं जानूँ, मरम धरम का।।

मैं अब आया, विकल हृदय ले।

श्याम बिहारी, हर भव भय ले।।


मोहन घूमे, जिन गलियन में।

वेणु बजाई, जिस जिस वन में।।

चूम रहा वे, सब पथ ब्रज के।

माथ धरूँ मैं, कण उस रज के।।


हीन बना मैं, सब कुछ बिसरा।

दीन

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