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लावणी छंद आधारित भजन

लावणी छंद आधारित भजन


माता के दरबार चलो।

माता बेड़ा पार करेगी, करके ये स्वीकार चलो।।


जग के बन्धन यहीं रहेंगे, प्राणी क्यों भरमाया है।

मात-चरण की शरण धार के, मन से त्यज संसार चलो।।

माता के दरबार चलो।।


जितना रस लो उतना घेरे, जग की तृष्णा ऐसी है।

रिश्ते-नाते लोभ मोह का, छोड़ यहाँ व्यापार चलो।।

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