मुझसे मेरी तन्हाइयों के,
खाब भी भुलाये न गए,
दिल में जो ज़ख्म थे,
आखों से छुपाए न गए,
महफिलों में रहकर भी,
जिन्हें भूलना चाहा,
यादें ऐसी थी कि,
जो भूल कर भी भुलाये न गए।
टीस के मोती बन गये हैं,
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मुझसे मेरी तन्हाइयों के,
खाब भी भुलाये न गए,
दिल में जो ज़ख्म थे,
आखों से छुपाए न गए,
महफिलों में रहकर भी,
जिन्हें भूलना चाहा,
यादें ऐसी थी कि,
जो भूल कर भी भुलाये न गए।
टीस के मोती बन गये हैं,