सुन साहित्य's image
164K

सुन साहित्य

सुन साहित्य, थोड़े दिनों की बात है
दूर खुद को तुझ से मुझे आज कर जाने दे
हां, बची जिंदगी तेरे साथ ही गुजारनी है
थोड़े बहुत जख्म है बस उन्हें भर जाने दे ,

कुछ टूटी फटी नसे है उन्हें सिल जाने दे
कुछ बुनियादों को इरादों से मिल जाने दे ,

फिर देखेंगे ना साथ ढलता सूरज
फिर लिखेंगे ना एक नई दास्तां
फिर कही चलेंगे  दूर साथ में
जहां पहुंच ना पाएगी खुद आसमां ,

रख अपने हाथों में तुम्हें दिल के पन्नों पर अपने उतारूंगा
फिर लय,

Read More! Earn More! Learn More!