
लगाने को तुम पर कोई कयास तक नहीं है
बुझाने को तुम्हारे पास प्यास तक नहीं हैं ,
ना तेरे पास धूप है ना ही पानी
फिर भी जी रही वह तेरी जवानी ,
ना तू हवाएं दे सकता है ना समंदर
फिर भी वह कैसे रहती है तेरे अंदर ,
हर दुआओं में मांगे जाने वाली अरदास वही है
दि
बुझाने को तुम्हारे पास प्यास तक नहीं हैं ,
ना तेरे पास धूप है ना ही पानी
फिर भी जी रही वह तेरी जवानी ,
ना तू हवाएं दे सकता है ना समंदर
फिर भी वह कैसे रहती है तेरे अंदर ,
हर दुआओं में मांगे जाने वाली अरदास वही है
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