तु मेरे रात्रिमय जीवन मे ज्योती बनकर आई's image
399K

तु मेरे रात्रिमय जीवन मे ज्योती बनकर आई

दोजख सा था जिंदगी का सफ़र मेरा
ना कोई पराया
ना कोई अपना

बंजर सा था ये हृदय मेरा
ना मुझमे कोई
ना किसी मे मैं

मकान था पर घर नही बन पाया वो मेरा
ना दर्द छुपाने के लिए माँ का आँचल
ना छाँव के लिए पिता का साया
Read More! Earn More! Learn More!