
क्या हैं सुख, क्या हैं दुःख
सोच की हैं सारी क्रीड़ा
सोचा जो पाया नही कहलाया दुःख
हम जो चाहे दुसरों को मिल जाये,
कहलाये हमारे लिए सुख
पुछो उससे जिसे हैं मिला,
सोच की हैं सारी क्रीड़ा
सोचा जो पाया नही कहलाया दुःख
हम जो चाहे दुसरों को मिल जाये,
कहलाये हमारे लिए सुख
पुछो उससे जिसे हैं मिला,
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