छत's image

उसके लहज़े को मैं लिखता था

और उसी ने वो सब लिखा हुआ पढ़ा,

मेरे कोई मुख़्तलिफ ख़्याल ना थे

मैंने बस उसकी आंखों को पढ़ा।

उसको जितना लगाव है अपने बगीचों के फूलों से,

मुझे शायद उतनी ही मोहब्बत है उसके उसूलों से।

उसके घर की वो छत जहां हम कभी मिले नहीं असल में,

क्यूं आ जाती है अकसर मेरे ख़्याल-ओ-अक्ल में।

मुझे वो छत का

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