![नफ़रत है न हमसे अब।'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40avish-datt/None/images-30_22-12-2022_23-33-58-PM.jpeg)
तुम्हें नफ़रत है हमसे अब, चलो कुछ तो है हमसे अब।
इतने अरसे हुए हमदर्दी प्यार की यूंही करते करते ,
ये नफ़रत यूंही बरक़रार रखना हमसे अब।
क्या प्यार सिर्फ तुम्हें हम से ही था? ये तो तुम्हें भी मालूम है।
मगर नफ़रत के हकदार सिर्फ़ हम चुनें गए, इसमें कोई शक नहीं है।
चलो नफ़रत है न हमसे अब, बस ये थोड़ा शिद्दत्त से निभा देना।
जब हमें तुमसे मोहब्बत थी,
तुम्हे खुद नहीं पता तुम्हे किससे वफ़ा थी।
हर पल तुम्हारी आंखों में ख़्वाब था किसी से मिलने का।
पर तब तुम मुझसे हमारी ही बातें किया करती थी।
एक रात किसी के आशुओ को तुमने, अपने होठों से लगा लिया।
और अगली सुबह ही तुमने महबूब से, मुझे दोस्त बना दिया।
बहुत खूब थे वो शब्द तुम्हारे,
मैं तो मान जाऊंगा , सिर्फ़ इतनी सी तो बात थी।
है ना .....!
चलो नफ़रत है न हमसे अब, बस ये थोड़ा शिद्दत्त से निभा देना।
मेरे इंतज़ार के हर एक इंतजार से नफ़रत करना।
वो पहली बात से,और मेरी आवाज़ से सिर्फ़ नफ़रत करना।
मैने तुम्हें अपनी चाहत में पूरा मांगा था।
मगर तुम्हारा दिल किसी गैर में, आधा जुड़ा था।
नफ़रत करना अपने उस आधे दिल से अब,
जो मुझ बैगैरत के लिए, न जाने क्यों गलती से फस गया था तब।
नफ़रत करना मुझसे जुड़े, अपने हर एक उस पल से अब,
जिसमे मेरे शक्ल की,मेरे नाम की परछाई भी पड़ी हो उस वक्त।
चलो नफ़रत है न हमसे अब, बस ये थोड़ा शिद्दत्त से निभा देना।
तेरे मुझ संग साथ बने, हर एक एहसास से नफ़रत करना।
मुझ जैसे से तेरा दिल लगा कैसे,
उस सोच से, उन हालात से नफ़रत करना।
तुझे तेरी बरसो की चाहत के, साथ साथ चलना था।
हाथों में हाथ लिए ,सिर्फ उसका ही बना रहना था।
मगर एक काटा मेरे नाम का,
उस वक्त तेरे उस रिश्ते को चुभो रहा था।
तुझमें बने मेरी नाम की हर एक, उस मौजूदगी से नफ़रत करना।
चलो नफ़रत है न हमसे अब, बस ये थोड़ा शिद्दत्त से निभा देना।
भले ही तेरे नजरों में,मैं खिलाड़ी सही, मैं झूठा सही।
मेरी मोहब्बत एक छलावा ,
मुझसे जुड़े हर एहसास में सिर्फ फरेब ही सही।
मेरे वो खत, मेरी वो कविताए,और उसमें पिरोए हुए
तुझ संग सजे हर एक शब्द, हर एक अल्फाज़,
सब एक अदाकारी ही सही।
पर क्या कभी थोड़ी सी भी मोहब्बत हुई थी तुझे हमसे।
तो तू बता अपनी नज़रों में, दो से दिल लगाना कितना सही।
किसी से इज़हार करके प्यार का,
किसी और संग जुड़ जाना कितना सही।