इंतज़ार तेरे दीदार को।'s image
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इंतज़ार तेरे दीदार को।

इंतजार लिए मुलाक़ात को,

वो मोहब्बत मेरी, तेरे दीदार को।

रुक जाए वो पल, जब मेरी नजर हो तुझ पर।

नीहारता ही रहूं तुझे, आ बैठ जा मेरे पास आकर।

बात करती रहे तू, कुछ न कुछ कहती रहे तू।

मैं सिर्फ तुझे सुनना चाहता हूं, 

तेरे कहे हर एक लब्ज़ को, खुद में भरना चाहता हूं।




वो नूर तेरे चहरे का, मदहोश किए जा रहा।

संभालू कैसे खुद को अब, 

मैं तो धीरे धीरे तेरा बनते ही जा रहा।

मेरे बारे में अभी कुछ न पूछ तू,

फ़िलहाल खुदका सब कुछ भूल चुका हूं।

जुबां खुली अगर और कुछ लब्ज़ निकले तो,

वो सिर्फ़ तेरा ही जिक्र मिलेगा मुझमें, 

तेरी ये खुशबू तो मेरे रूह मे उतर चुकी हैं।

तू रहे ना चाहे आस पास मेरे,

तेरी मौजूदगी का हर सार तो, समाया हुआ है मुझमें।




सवारती बखूबी उन्हें वो तेरी अदाएं, 

वो जो जुल्फें तेरी, तेरे चहरे पे छा जाए।

अरे ये अदाएं ही काफ़ी थी तेरी,

मुझपर सितम लाने को, तेरा दीवाने बनाने को।

फिर जो यूंही देखकर मुझे, मुस्कुराई तू,

थोड़ा कुछ ही बचा था मुझमें मेरा,

अब वो भी अपना बना गई तू।




तू मेरे सामने रह , हा बस यही रुख जा।

अब और कुछ भी नही देखना चाहता मैं।

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