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रामायण में गांधीजी

शीर्षक: रामायण में गांधीजी

विधा: पद्य

श्रेणी: कविता

रचना:




एक दिन गजब हो गया

रामायण में गांधीजी को

राम का रोल ऑफर हो गया


गांधीजी भी राम भक्त थे

मना कैसे कर पाते

राम बनकर वो, और लोगो

को भी आंदोलन से जोड़ पाते


लक्ष्मण बनने का जिम्मा

वल्लभ भाई ने संभाला था

भरत का रोल

नेहरू जी के जिम्मे आया था


समूचे भारत में अब

शोर हो गया

गांधीजी को राम देखने का

हर ओर कौतुहल हो गया


सबकी नज़रे

इस ओर टिकी थी

गांधीजी राम के चरित्र को

कैसे न्याय दिलवाएंगे

क्या वो अब भी

अहिंसा का मार्ग अपनाएंगे


प्रसंग - १


रामायण का मंचन शुर हुआ

राम और लखन

संतो को राक्षस से

मुक्ति दिलवाने चल पड़े

परन्तु अब वो अहिंसा पथ पे चलते थे

राक्षसों को मारते नहीं

अपितु, उनके खिलाफ

प्राथना सभा , मौन व्रत और उपवास करते थे


बड़े बड़े पिशाचो के खिलाफ भी वो

निर्भीक खड़े होते थे

एक गाल पे तमाचे के बाद

वे दूजा आगे कर देते थे


धीर धीर राक्षसों को भी

शर्म आने लगी थी

अपने कर्मो को वो

खुद सजा मानते लगे थे

धीर धीर ही सही, पर

वो भी इंसान बनने लगे थे


लोगो ने भी गांधीजी का लोहा माना था

अहिंसा से राक्षसों को भी जीता था


प्रसंग - २


आगे बढ़ते हुए

वो भी प्रसंग आ गया

जब राम को सत्ता छोड़

वनवास आ गया

राम के बाद

वल्लभ सबकी पसंद थे

पर वे भी अपने लक्ष्मण के

चरित्र के बहुत करीब थे


वल्लभ भी लक्ष्मण बन

राम संग वनवासी हो गए

और

नेहरू, गांधीजी की पादुका लेके

सत्ता को धारण हो गए


प्रसंग - ३

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