पहले कभी's image
पहले कभी न थे ये मकान ये गलियां ये रास्ते ,
थे तो केवल गगन की सिकुर्ती बाहों को चूमते ये विशाल दरख़्त ,

न थी यहां ऊन की बुनी चादर ,
  न कोई बिछोने थे ,
थी तो केवल ज़मीन पर बिछी हरी घास ,

न थे पहले कभी ये किस्से जिन्हें तुम
  कहते हो लिखते हो ,
थी तो केवल वो हकीकत पर मली कुछ झूठी बात ,
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