
आजकल तेरा चेहरा बहुत सताता है
दिख रहे हर शख्स में तू ही नजर आता है |
मेरे अंदर की आग जब कभी बुझने लगती
तेरा चुम्मा हुआ जिस्म लौ बन जाता है |
तू किस तरह शराब से अलग है मेरी जां
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आजकल तेरा चेहरा बहुत सताता है
दिख रहे हर शख्स में तू ही नजर आता है |
मेरे अंदर की आग जब कभी बुझने लगती
तेरा चुम्मा हुआ जिस्म लौ बन जाता है |
तू किस तरह शराब से अलग है मेरी जां