आंखे खोल ए मुसाफिर
है लंबा रास्ता सामने
मंजिल ताके दूर बैठी
तू ठहरा विश्राम में
आंधियों सी गर्जना कर
कल- कल बेह जा नीर सा
हर एक स्वास को थाम कर यूं
संयम रख तू पीर सा
मंजिल को झुकना पड़ेगा
क्षमता का तू ध्यान कर
ज
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आंखे खोल ए मुसाफिर
है लंबा रास्ता सामने
मंजिल ताके दूर बैठी
तू ठहरा विश्राम में
आंधियों सी गर्जना कर
कल- कल बेह जा नीर सा
हर एक स्वास को थाम कर यूं
संयम रख तू पीर सा
मंजिल को झुकना पड़ेगा
क्षमता का तू ध्यान कर
ज