मुख्तसर सी ज़िंदगी को क्यो किसी के नाम कर दे's image
549K

मुख्तसर सी ज़िंदगी को क्यो किसी के नाम कर दे

मुख़्तसर सी जिंदगी को क्यों किसी के नाम कर दें

हर निगाहें टिक जाए हम पर आज ऐसा वो काम कर दें


बेनूर सी यह शामें है बेरंग सी है ये सहर 

जो चाहे हम तो आज ही ये स्याह रातें फ़ाम कर दे


करते हैं

Read More! Earn More! Learn More!