
मुख़्तसर सी जिंदगी को क्यों किसी के नाम कर दें
हर निगाहें टिक जाए हम पर आज ऐसा वो काम कर दें
बेनूर सी यह शामें है बेरंग सी है ये सहर
जो चाहे हम तो आज ही ये स्याह रातें फ़ाम कर दे
करते हैं
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मुख़्तसर सी जिंदगी को क्यों किसी के नाम कर दें
हर निगाहें टिक जाए हम पर आज ऐसा वो काम कर दें
बेनूर सी यह शामें है बेरंग सी है ये सहर
जो चाहे हम तो आज ही ये स्याह रातें फ़ाम कर दे
करते हैं