सत्य प्रेम's image
हमने देखा है लोगो को,
प्यार, प्रतिको मे ढूंढते हुए, 
कभी ताजमहल, कभी चित्तौड़,
कभी गहलौर के माँझी बनते हुए, 

प्रतिको मे ढुंढोगे इसको तो,
फिर अंदर इसे ना पाओगे, 
बस शिश नवा बाहर से ही,
मझधार मे रह जाओगे।

मै देख रहा ये रीत नई,
बाहर से रंगे ईश रंग,
अंदर मे सब मलीन बड़ी,
मंदिर मस्जिद सब भंग भंग,

भीतर मे सभी जो देव बसे,
बाहर हो व्यर्थ क्यो खोजते,
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