
इंद्रधनुष सी नैसर्गिक, पत्ती पर खिलते फूल विपुल;
एक "सुपर्णा", विस्तृत वन, जीवंत पर्ण, पाती मंजुल ।
फूलों के रंग प्रकाशपुंंज, खुशबू निश्छल;
विस्मृत आँगन परिमलावृत, हर प्राण धवल ।
शापित झोंके संग, लिपट गई फिर एक कीट की परछाई;
कीट पर्ण या पर्ण कीट, &nb
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