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प्रेम में उपहास

प्रेम में गर उपहास होता नही,

मन मेरा भी दुखी कभी होता नही

रात काली अँधेरी घटाओ में मैं,

किसी के लिए यू कभी रोता नही

मौसमो की आवा- जाही लगी,

पर दर्द के बादल छटते नही

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