सौर्य स्वर्णिम रचना जो प्रभु
धूधू धुमिल अब होती जाय
सुखी भविष्य के लोभन म्
कल पे आजय देई गमाय
प्रभु कह पथ भूलि भालि के
जस जग मानव ज्ञान बढाय
जीवन रक्षक छोंडि छांडि के
बिशुद्ध बिलासिता को अप
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प्रभु कह पथ भूलि भालि के
जस जग मानव ज्ञान बढाय
जीवन रक्षक छोंडि छांडि के
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