
मंजिल तुम्हें गर जो पानी हो
करो निर्धारित लक्ष्य को तुम
दृष्टि गड़ा दो लक्ष्य पे ज्योंही
कर निश्चय पग बढ़ा दो तुम
फूलों के संग में ही कांटे होते
कांटो संग में ही ख़ुशबू होती
पास ख़ुशबू तक गर जाना हैं
तो कांटो पर चल जाना है
दीपक के संग ज्योति होती
ज्योति के संग अंगारे होते
अंधकार गर है मिटाना तो
ज्योति जस जल जाना है
गर रौशन किस्मत करनी है
दीपक जस तो जलना होगा
मंजिल जो गर पानी हो तो
कर्म-
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