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एक ऐसी वो लड़की थी

एक ऐसी वो लड़की थी



देख रचना श्रष्टि रचयिता हिय समझ न पाया था

चित्ताकर्षक रचना जिसने दिलको भरमाया था

आकर्षक थी या रब ने उसे आकर्षक बनाया था

किस्मत थी मेरी या रब ने उसे उस दिन मिलवाया था


सुध बुध खोई मन न उस दिन गगन समाया था

देख ऐसी चित्ताकर्षकता नयन अस्क भर लाया था

कौन तपस्या कीथी उसने जो ऐसा योवन पाया था

मैं उस से भरमाया था उसने माया से भरमाया था


मन हर्ष से हर्षाया था ह्र्दय ने चित्र सजाया था

न रहा खुद पे काबू योवन ने जो तीर चलाया था

वापस जब घर को आया बिचार वही भर लाया था

निद्रा उस दिन न आयी थी ह्रदय भी बिचलया था



दिल हर्ष से हर्षाया था जब वो भी दिन आया था 

किस्मत के मारे दिल में तब प्यार यूँ उमडाया था  

बात समझ में आयी थी हम एक दूजे पर मरते थे

पाने को प्यार एक दूजे का सालों से आहें भरते थे


जैसे देख बेचैनी सावन की, पपीहा गाना गाता था

जिसको दिल ने चाहा था पर बोल न उसको पाया था

बैसे ही उस दिन वो खुद ही चल कर आयी थी 

जैसे प्यासे राही के पास कुआं ही चलकर आया था


तनहा अकेले रहते है, प्यार तुम्हे ही करते है,

प्यार हमारा रहा नहीं, कह कह कर हमें बताती थी

सुन सुन कर बाते उसकी, दिल यूँ ही भर जाता था 

रंग चातुर्य ला जाता था, धोखे से धोखा खा जाता था 


देख देख तन्हाई उसकी, दिल दुःख से दुःख जाता था

ह्रदय में तब स्नेह उमड़, मन यूँ ही भर जाता था

हमको वो यूँ ब

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