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बचपन की मासूमियत

"जो उम्र थी जिन्दगी लुत्फ़ मुस्कुराने मे" !
"बाकी बची गुजरे  शायद सिस्कराने मे" !

त्रप्त  होती थी इन्द्रिया तब  सताने मे, 
मन हर्ष से हर्षता फिर फिर मनाने मे..I
यही थी उम्र उल्लासी  लुत्फ़ लेने क
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