वो दूर पत्थर की दुनिया मे, जब सर्द हवाएं चालती है .
सोये हुए बिस्तर पर ,हमे जब तेरी याद सताती है ...
आंखे बंद कर तुझे पाने की चाहत करता हु
तब तब इस दिल पर पत्थर रख ,यू ही सो जाया करता हु ...!
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पर तेरी चाहत में ये नींद कहा से आये ..
बस इस नींद को बहलाता हु फुसलाता हु
जब जब तेरी याद ,तब तब इस दिल पर पत्थर रख यू ही सो जाया करता हु ..
अब तो हर एक नजरो से चिढ़न होती है
हर एक मुस्कान से डर लगता है ...
जब जब तेरी याद आए , तेरी याद से डर लगता है ..
जब सर्द भरी हवाओ में तेरी याद सताती है
तब तब इस दिल पर पत्थर रख यू ही सो जाया करता हु ...।
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