
शिव ...
आदि भी तू, अंत भी तू..
शुन्यता में छिपा अनंत भी तू,
तू ही अर्द्ध, परिपूर्ण भी तू,
तू ही सत्य,और मिथ्य भी तू,
तेरी जटा से बहती गंगधारा,
Read More! Earn More! Learn More!
शिव ...
आदि भी तू, अंत भी तू..
शुन्यता में छिपा अनंत भी तू,
तू ही अर्द्ध, परिपूर्ण भी तू,
तू ही सत्य,और मिथ्य भी तू,
तेरी जटा से बहती गंगधारा,