
ये कौन है जो मेरी आँखों के पीछे से झांकता है
कया ये मैं हूँ या वो जो सबकुछ है
ये हाड़ मांस का शरीर, ये विचारों के बादलों से भरा मन का आकाश
क्या ईससे भी अलग मैं कुछ हूँ
कौन है कैसा है ईश्वर
वो सबकुछ है या मैं ही सबकुछ हूँ
गहराइयों में ऊतरूं या ऊंचाइयों को छूने का साहस करूँ
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