
जो भी हैं आघात हैं दिल पे मेरे दाग हैं,
ये नमी आंखों की मौसिकी की आग हैं।
कितना और लंबा जाएगा ये इम्तेहान,
कितना और लंबा अभी इंतज़ार हैं।
इक खुदा के भरोसे न थे कभी न होगे,
मैं जिंदा हूं अधूरा सा पूरा तो तेरा दीदार हैं।
मेरी जिंदगी के सबब मेरे बाद रकीब जानेंगे,
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