
कभी खून से खेली है होली
कभी धमाकों में बीती दीवाली
शान बचा कर रखना यारों
बलिदान ना जाए खाली
यारों की यारी है छूटी
मेहबूब का गलियारा छूटा
मां के हाथों की रोटी और
बाबा का फटकारा छूटा
पर दुश्मन लौट गया उल्टे मुंह
ले कर झोली खाली
मान बचा कर रखना यारों
बलिदान ना जाए खाली
तपती धूप हो या
ब
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