कोरा पन्ना's image
103K

कोरा पन्ना

अनगिनत शब्द

जो देती रही

तुम मुझें


मैं घड़ता रहा

उनसे कविता

पिरोता रहा

तुमकों काव्य जैसा


तुम ही तो थी 

मौजूद...

जैसे मेरे 

मन के

Read More! Earn More! Learn More!