
कविता का पीछा किया मैंने एक दिन
अरे भाग्यवान,
कवि के दिल से होती हुई क़लम से निकल रही थी ।
मैंने (तपाक से )पूछा - अरे कहाँ ??
बोली- कवि की कल्पना से,
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अरे भाग्यवान,
कवि के दिल से होती हुई क़लम से निकल रही थी ।
मैंने (तपाक से )पूछा - अरे कहाँ ??
बोली- कवि की कल्पना से,