
मुक्तक: तेरा शुक्रिया...
लेखक: दामोदर विरमाल "मन"
पता: महू जिला - इंदौर मध्यप्रदेश
देर से ही सही मेरी ज़िंदगी में आने के लिए शुक्रिया।
मेरे घर आंगन में इतनी खुशियां लाने के लिए शुक्रिया।
सही क्या है गलत क्या है मैं अनजान था अबतक,
मेरी हर राह में ये खुशबू बिछाने के लिए शुक्रिया।
अभी ईकपल भी मुझको चैन से सोने नही देते,
अचानक से मेरे सपनों में आ जाने के लिए शुक्रिया।
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