जिस राह जाने से डरता था
आज उसी राह पर बैठा हूं।
जिस चिंगारी से डरता था
आज उसी की आग अपने सीने में दबाए बैठा हूं।
जिस रात के अंधेरे में डरता था
आज उसी की चांदनी में शैर पर निकला हूं।
जिस तूफ़ान से घबराता था
आज उसी तूफान अपनी उड़ान भर रहा हूं।
जिन सवालों से घबराता था
आज उन्ही का उत्तर खोज आगे बढ़ रहा हूं।
ज
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