आज ऐसा हुआ,वह मिली राह में
मुझसे मिलकर के आंसू बहाने लगी
था सुबह का समय,लोग कम थे वहां
मुझको बाहों में अपने वो भरने लगी
मैं समझ पाता जब तक,वो रोई है क्यों
मेरे सीने से लगकर वो रोने लगी
मैंने पूछा उसे रोई हो आज क्यों
वो दास्तां मुझको अपनी,सुनाने लगी
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