अनकही's image

यूँ ही नहीं बीतती करवटों में रातें,

इस रात की ख़ामोशी में तेरी यादों का शोर बहुत है।

अब कहाँ वो लड़कपन की चाहते वो शरारतें,

ज़िन्दगी के सफ़र में ख्वाहिशों का बोझ बहुत है।

शहर की इस ठण्ड में इरादों में गर्मजोशी भी नहीं दिखती,

संभल के चलना राहों में आगे अभी ओस बहुत है।

ज़रा खामोश से रहते हैं बाशिंदे यहाँ के,

सुना है इस शहर में सियास

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