बस यूँ ही - 01 - कुछ बातें , कुछ लोग ....! ~ अनुराग अंकुर's image
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बस यूँ ही - 01 - कुछ बातें , कुछ लोग ....! ~ अनुराग अंकुर

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→सीरीज - बस यूँ ही

→भाग    -  01

                       कुछ बातें, कुछ लोग 

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कुछ

       बातें,

कुछ

        लोग,

ऐसे जरूरी होने से लगते हैं जैसे उनका होना ही हमारा होना है , उनका उपस्थित होना ही हमारे अस्तित्व का प्रमाण सा बन जाता है। कई बार मन जीवन के इस घुमावदार मोड़ से गुजरता है तो मानो जी चाहता है की किसी खुले आसमां के नीचे बैठ कर हर किसी प्राकृतिक संरचना से पूछा जाए की क्या तुममें भी यह अंतर्नाद गूंजता है,तुम भी किसी की उपस्थिति को ही अपना अस्तित्व मानते हो ?


कई मर्तबा जब किसी चले जाने वाले की यादों की एक लंबी फेहरिस्त आपके चारो ओर बिखर कर, आपसे उलटे ही सवाल करती है तो आप एक अटपटी सी मूक विवशता में शून्य की तलाश करते हैं।कई दफा ऐसा लगता है की कोई रंजिश है इसके पीछे, जो मुझे बार - बार अपराधबोध कराना चाहती है।


उफ्फ ! कितना हैरत अंगेज है ना सब कुछ.....

अचानक ही किसी गौरेया से वास्ता हो गया था। पूरी शिथिल... मुरझाई सी।मानो जैसे किसी मनहूस ने आपको तड़के भोर में ही डांट की घुट्टी पिलाई हो,जैसे किसी गहरी पाप की खाई खोदते - खोदते किसी रावण ने प्राण त्यागे हों या फिर किसी ने चमचमाते सूरज के मुंह पर काले बादलों का जत्था फेंक कर मारा हो।काफी देर तक पंखों में रवीश कुमार जैसे प्राइम टाइम

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