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रिश्ता और भरोसा

रिश्ता और भरोसा


तेरे आने की चाहत में यु जलते थे।

तेरे जाने के डर से हम भी डरते थे।।

हुस्न तेरा यु ही बस बेपरवाह है जानते थे।

पर फिर भी प्यार भरे दो पल के लिए जतन करते थे।।...१


वक्त मुलाकात का आए घड़ी को यु तकतें थे।

वो तनहाई के लम्हें बड़े लंबे गुज़रते थे।।

तुम मिलते थे वक्त का होश भी ना होता था।

घड़ी के कांटे जैसे तेजी से उस वक्त गुज़रते थे।।...२


हर मौसम हसीन और रंगीन से लगते थे।

सपने जो भी देखो सब सच हुआ करते थे।।

जहाँ सारा अपना और तुम सबसे न्यारे लगते थे।

दिखने वाले सब नज़ारे बस हमारे ही लगते थे।।...३


ना मालूम क्यों वक्त ने फिर पलटा खाया था।

तुम्हारे हमारे दरमियाँ दूरियों को बढ़ाया था।।

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