द्रौपदी चीरहरण- कर्म से फल की कहानी's image
547K

द्रौपदी चीरहरण- कर्म से फल की कहानी

द्रौपदी चीरहरणकर्म से फल की कहानी


द्यूत-क्रीड़ में विजय देख मुर्ख दुर्योधन जैसे उन्मत्त हुआ।

द्रौपदी मेरी दासी है कह भरी सभा में लाने का आदेश दिया।।

दुर्योधन के वचन सुन विदुर ने उसका पूर्ण विरोध जताया।

अपमान का घुट पी सभा छोड़दुर्योधन को उसका काल निकट समझाया।।...1

 

दुःशासन फिर केश पकड द्रौपदी को खिंच भरी सभा में लाया।

केश सभी बिखरे थे और उसके वस्त्रों का हाल बेहाल बनाया।।

दुर्दशा देख स्वयं की द्रौपदी को सभा में क्रोध सभी पर आया।

भीष्मद्रोणधृतराष्ट और पाण्डवों ने भी शर्म से शीश  झुकाया।।...2

 

विकर्ण एक मात्र था जिसने उस सभा में दुर्योधन पर सवाल उठाया।

कर्ण ने उसे बालक कह कर उसको अज्ञानी होने का बोध कराया।।

आदेश पा कर दुःशासन ने द्रौपदी को फिर निर्वसन करने का मन बनाया।

लाचार देख सभी ज्ञानी और महाबली को द्रौपदी ने कृष्ण का ध्यान लगाया।।...3

 

अपने सब कार्य त्याग कर कृष्ण ने द्रौपदी की साडी को इतना बढ़ाया।

शिथिल हो गया था दुःशासन वह द्रौपदी को निर्वसन  कर पाया।।

साडी के पर्वत को देख  सभा ने द्रौपदी के पतिव्रत होने का भान पाया।

इसी पल भीम ने दुःशासन की 

Tag: poetry और2 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!