मैंने जाना की वो भूल है,गुनाह है,अपराध है
मैंने माना कि मैं सही हूं,सच हूं,मेरा ईमान है।
मैंने जाना की ये समाज है, रित है,रिवाज है
मैंने माना की मेरी भी सांस है,धड़कन है, ख़वाब है।
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मैंने जाना की वो भूल है,गुनाह है,अपराध है
मैंने माना कि मैं सही हूं,सच हूं,मेरा ईमान है।
मैंने जाना की ये समाज है, रित है,रिवाज है
मैंने माना की मेरी भी सांस है,धड़कन है, ख़वाब है।