
महाभारत का रण याद होगा।
जब भी धर्म अधर्म का नाम होगा,
महाभारत का रण याद होगा,
भू पर पड़े शीशों से लदी धरती,
और याद दुर्योधन का अहंकार होगा।
चर अचर भी वो मंजर सुन कांपेंगे,
विध्वंस कपटियों का संसार होगा,
घृणा, लालच, कपट से परिपूर्ण कौरव,
और याद पांडवों का प्रतिकार होगा।<
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