
जो बीत गई सो बात गई
फिर उस बात पे क्या रोना
काम धाम कुछ करते हैं
यूं पलंग बिछाए क्या सोना।
जो बीत गई......क्या रोना।।
कुछ नई कहानी सुनते हैं,
कुछ नई कलाएं बुनते हैं
बासी बासी सी बातों पे
बातें नए कल की क्यों खोना।
जो बीत गई सो ...............क्या रोना।
फिर उस बात पे क्या रोना
काम धाम कुछ करते हैं
यूं पलंग बिछाए क्या सोना।
जो बीत गई......क्या रोना।।
कुछ नई कहानी सुनते हैं,
कुछ नई कलाएं बुनते हैं
बासी बासी सी बातों पे
बातें नए कल की क्यों खोना।
जो बीत गई सो ...............क्या रोना।
पास हुए या फेल हो गए
यूं चलते फिरते खेल हो गए
कुछ वो कहते,कुछ वो भी कहेंगे
य
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