
तेरे मेरे बीच कैसा ये मंजर बन गया
जैसे बिना ईंट पत्थर के घर बन गया
एहसासों की दीवारें सुकून की छत है
यादों का आँगन इबादत का दर बन गया
मीठे सपनो ने नींद से दोस्ती कर ली
बेफ़िक्री सिरहाना यक़ीं बिस्तर बन गया
नज़र बदन पर निशान छोड़ जाती है
आँखों की छुअन में ये असर बन गया
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