
ना तौल मुझे, मेरी छोटी उड़ान देखकर,
गहरी खाइयों से शुरू हुआ था सफ़र मेरा...
मुकाम की तलाश में यूं मुसाफिर हो गया,
तय करते सफ़र, सफ़र ही मंज़िल हो गया...
सुन लेता हूं लबों को सिए, मशविरे सबके,
जो समझदार हैं , पढ़ लेते हैं ख़ामोशी मेरी...
हजारों शिकायतें मिट जाती खुदा से,
आंखों की जगह, गर आइने दिए होते...
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