
चाहतों की डगर पे, चलता रहा मैं उम्रभर,
कभी अपने साए से, तो कभी दर्द से बेखबर...
उस मोड़ पे कुछ खोया, इस मोड़ पे कुछ पाया,
ख्वाहिशों की चाह ने, हर बार हमें बहकाया...
ख्वाबों की राहों में, कांटे भी फूल लगे,
इन रिश्तों के सफर में, कई शख्स झूठ लगे....<
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