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तुम बिन तुम्हरा गांव

तुम जब हमारे शहर आते होगे...
गांव में रौनक नहीं रहती होगी
गलियां मुंह फूला लेती होंगी,
आंगन तुम्हारी एड़ियों की धमक के लिए तरसते होंगे
ऐसे माहौल में बादल कैसे बरसते होंगे,
हवा मजबूरियों में चलती होगी
फूल खुद मुरझाते हुए तुम्हारे दीदार को तरसते होंगे,
चांद बेखौफ निकलता होगा
तारे कैसे टिमटिमात
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