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Ghazal By Anjum Lucknowi

गज़ल


याद  तीरे  नज़र  किया  जाए

दिल के ज़ख़्मों को तर किया जाए


चल के जाना तो ना मुनासिब हैं

ख्वाब में ही सफ़र किया जाए


उस के जलवों का नूर है हर सु 

अपना चेहरा किधर किया जाए


प्यार की सब जिसे से निशानी कहें

ऐसा  तामीर  घर  किया  जाए


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