![उड़ीक कविता राजस्थानी - Rajasthani language, literature, poetry & heritage | Anjas's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40anjas/None/Anjas_Image_01-12-2022_12-33-14-PM.png)
104K
उड़ीक कविता राजस्थानी - Rajasthani language, literature, poetry & heritage | Anjas
उड़ीक कविता राजस्थानी
भीजे भोळी याद एकली, साँझड़ली भी आज उदास।
जद मिलसी बिछड़्योड़ी जोड़ी, हिरखैली तद, उजळी आस।
तारां री छैयां में लुकछिप, आ रे म्हारा मन रा मीत।
दूर गिगन सूं हेत लगावै, धरती री या कोनी रीत॥
ओ रे चाँद गिगन रा वासी, छिटकावै मत यूँ मुस्कान।
कुण सूं थारा नैण मिल्या रे, कुण में बसग्या थारा प्राण॥
अळगौजै री टेर सुणीजे, मन में मुळकै मीठी तान।
थक के सो मत आस बावळी थकन मिटावै मन रो मान॥
काजळ सारै आँखड़ली&
Read More! Earn More! Learn More!