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नारी की भूमिका

ए नारी,

तू किरण हैं,

तू छाया हैं,

तू ममता की छवि हैं,

तू उल्लेखनीय रचना हैं,

तू स्वयं रचयिता हैं।


तू निराशा कहाँ,

तू आशा हैं।


ए नारी,

तू आहना हैं,

तू संध्या हैं, 

तू निशा की रोशनी हैं,

तू शुरुआत हैं,

तू समापन हैं।


तू कलह कहाँ,

तू शांति हैं।


ए नारी,

तू अद्विका हैं,

तू धरा हैं,

तू भावना की मीरा हैं,

तू बेमिसाल हैं,

तू खुद में एक मिसाल हैं।


Tag: poetry और11 अन्य
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