ए नारी,
तू किरण हैं,
तू छाया हैं,
तू ममता की छवि हैं,
तू उल्लेखनीय रचना हैं,
तू स्वयं रचयिता हैं।
तू निराशा कहाँ,
तू आशा हैं।
ए नारी,
तू आहना हैं,
तू संध्या हैं,
तू निशा की रोशनी हैं,
तू शुरुआत हैं,
तू समापन हैं।
तू कलह कहाँ,
तू शांति हैं।
ए नारी,
तू अद्विका हैं,
तू धरा हैं,
तू भावना की मीरा हैं,
तू बेमिसाल हैं,
तू खुद में एक मिसाल हैं।
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