
सन्यासी, गृहस्थ, राजा, रंक या फिर
कोई भी हो रिश्तों का रिश्ता
चाह नहीं नियति है
थोड़ी मुश्किल भी सहनी होती है
उलझनों का उलझन में सन्यासी होना
ख़ुद को धोखा देना
कैसी चॉइस होती है
बैंक बैलेंस हो गर मजबूत
आइ आइ टी वाले बाबा सी ज़िंदगी आलस
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